- खोढ़ेनाथ बाबा, Khodenath Baba, खोढ़वा मंदिर कसर, खोड़वा मेला कसर, खोढ़वा मेला सिंगरौली, खोडे नाथ बाबा मंदिर की पूरी जानकारी
- खोढ़ेनाथ बाबा
- Khodenath Baba
- खोढ़वा मंदिर कसर
- खोड़वा मेला कसर
- खोढ़वा मेला सिंगरौली
- खोडे नाथ बाबा मंदिर
खोढ़ेनाथ बाबा : Khodenath Baba, खोढ़वा मंदिर कसर, खोड़वा मेला कसर, खोढ़वा मेला सिंगरौली, खोडे नाथ बाबा मंदिर
खोढ़ेनाथ बाबा
- 2500 फिट ऊंचे पहाड़ पर बसे हैं बाबा खोड़ेनाथ,
- यहॉ इलकी कैलाश मानसरोवर से होती है तुलना,
- मुधुमक्खियां है बाबा की पहरेदार,
सिंगरौली, के 'खोड़ेनाथ बाबा', Khode Nath Baba Kasar में महाशिवरात्रि पर 60 हजार से अधिक श्रद्धालु करते हैं जलाभिषेक।
मंदिर के पुजारी के अनुसार करीब 60 हजार श्रद्धालु हर वर्ण महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक कर मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
खोड़वा मेला कसर
महाशिवरात्रि पर बैढऩ शहर से 45 किमी. दूर कसर गांव Kasar में आस्था का सैलाब उमड़ता है। जिसकी तैयारियां 1 माह पहले से जोरो पर चल रही होती है है। बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है।
यह मेला 2500 फीट ऊंचे पर्वत पर विराजे खोड़ेनाथ बाबा की आस्था का प्रतीक है। यहॉ मंदिर के पुजारी के अनुसार करीब 60 हजार श्रद्धालु हर महाशिवरात्रि पर जलाभिषेक कर मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
भौरे करते हैं बाबा की पहरेदारी
मान्यता है कि बाबा खोड़ेनाथ जी के दरबार में कोई भी श्रद्धालु पूरा दिन या रात व्यतीत करना चाहे तो वह नहीं कर सकता। उसे खोढ़ेनाथ बाबा सिर्फ अपने दर्शन मात्र की इजाजत देते हैं,
भक्त यहां आते हैं जल नारियल चढ़ाते हैं और फिर वापस चले जाते हैं। कहा जाता हैं कि बाबा खोड़ेनाथ की पहरेदारी भंवर करते हैं।
Khodenath Baba : खोढ़ेनाथ बाबा मंदिर की कितनी सीढ़ियॉ
यहॉ पर Khodenath Baba का दर्शन करने के लिये भक्त 1065 सीढिय़ां चढ़कर पहुंचते हैं, श्रद्धालु विंध्य की मां शारदा के दरबार मैहर में सीढिय़ां चढऩे की परंपरा रही है विल्कुल ठीक वैसा ही नजारा यहां पर भी है।
1065 सीढिय़ां हैं, जिनको चढऩे के बाद ही बाबा खोड़ेनाथ के दर्शन प्राप्त होते हैं। यहॉ आस्था और विश्वास की हर एक सीढ़ी किसी न किसी श्रद्धालु ने बनवाई है। हर सीढ़ी में किसी न किसी श्रद्धालु का नाम लिखा हुआ औप दो लेन सीढ़ी पर्वत पर चढ़ने के लिये बन चुकी है।
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खोड़ेनाथ बाबा (Khodenath Baba) का इतिहास : कसर
खोड़ेनाथ बाबा (Khodenath Baba) कसर का इतिहास लगभग सौ वर्ष पुराना है। पुजारी ओमकारनाथ गोस्वामी बताते हैं कि बहुत पहले यहां जंगल था। धीरे-धीरे लोगों में पर्वत में चमत्कार की चर्चा शुरू हुई थी। जिससे आसपास के लोगों में यहॉ के प्रति आस्था बढ़ी।
खोड़ेनाथ बाबा : महाशिवरात्रि पर मेले का आयोजन
अब यहॉ खोड़ेनाथ बाबा के प्रति आस्था इतनी अडिग हो गई है कि लोग तत्काल फल देने वाले बाबा खोड़ेनाथ को हर दुख में याद करते हैं।
महाशिवरात्रि को मेले का आयोजन भी सदियों पुराना चला आ रहा है। अपने आस्था और विश्वास के चलते बनारस, मिर्जापुर, इलाहाबाद सहित झारखंड, बिहार और अन्य जिलों से लोग शिवरात्रि के दिन बाबा खोड़ेनाथ को नारियल और जल चढ़ाने आते हैं।
खोढ़वा मेला सिंगरौली
सजने लगी दुकाने
क्षेत्र के रहने वाले अमरीश देव पाण्डेय ने बताया कि मुंडन संस्कार, कथा सहित अन्य अनुष्ठान इन्हीं की चौखट में होते हैं।
यहॉ पर नेशनल हाइवे-39 किनारे यह पर्वत कसर गांव के पास स्थित है। यहां से गुजरने वाला हर राहगीर भी भले ऊपर न चढ़े लेकिन बाबा खोड़ेनाथ के आगे नतमस्तक जरूर होता है।
महाशिवरात्रि की यहां पर तैयारियां जोरो पर होती है। मेले में दुकाने सजने लगी हैं तो वहीं पर सुन्दरकांड का पाठ लोग करते हैं।
Khodenath Baba, खोढ़वा मंदिर कसर
भंवर करते हैं बाबा की पहरेदारी
यहॉ पर उपर स्थित मंदिर परिसर में भोरौं के कई समूह रहते हैं जिन्हे खोड़ेनाथ बाबा का पहरेदार माना जाता है कहते हें कि यदि जब कभी यहॉ पर बाबा खोड़ेनाथ कष्ट में होते हैं तो वह उड़ कर पहरेदारी का काम करते हैं और वहॉ उपद्रव करने वाले अराजक तत्वों की हिम्मत नहीं होती है
कब लगता है यहां पर ज्यादा भीड़ यह ही जाने
यहां पर सबसे ज्यादा संख्या में भीड़ महाशिवरात्रि पर लगती है महाशिवरात्रि के दिन यहां पर बहुत दूर-दूर से भक्तगण आते हैं कहां जाता है महाशिवरात्रि के दिन मांगी गई थी भगवान भोलेनाथ बहुत जल्दी पूर्ण करते हैं
- शिवरात्रि से भीड़ इकट्ठा होने लगती है
- जल जढाया जाता है और
- बहुत सारे मेले ही लगते हैं
वहां का फेमस चार्ट और जलेबी है जलेबी जोक जोकि हमारी राष्ट्रीय मिठाई है वहां पर बहुत बनाया जाता है और जो भी भक्तगण वहां पर जाते हैं जलेबी खा कर या खरीद कर ही आते हैं 15 दिन का मेला बहुत ज्यादा लगता है इसके बाद किसी भी महीने में वहां पर जा सकते हैं कोई पाबंदी नहीं है
जब आपका मन करे तब जा सकते हैं लेकिन सबसे ज्यादा भीड़ भाड़ शिवरात्रि से स्टार्ट होता है जो कि 15 दिन तक रहता है फगुआ होली तक
शिवरात्रि के दिन अवश्य जाएं वहां पर बहुत सारे तरह-तरह के झूला भी लगा रहता है वहां का झूला भी तरह तरह का रहता है जैसे ब्रेक डांस उस पर आप बैठेंगे तो जो भी जलेबी मिठाई खाएंगे ऐसा लगता है कि वह बाहर निकल जाएगा
वहां पर तरह-तरह के जादूगर आते हैं और अपना जादू दिखाते हैं एक होता है मौत का कुआं जहां पर बहुत बड़ा सा गड्ढा खोदा जाता है और वहां पर दो पहिए वाहन और चार पहिए वाहन चलाया जाता है जो कि देखने लायक रहता है
कैसे पहुंचे बाबा खोढ़ेनाथ के दर्शन करने
अगर आप अपने वाहन से आएंगे तो मंदिर तक वाहन पहुंच जाएगी
अगर ऑटो बस से आएंगे तो कसर गेट पर बस या या तो उतार देंगी
उसके बाद आपको पैदल यात्रा करके 200 मीटर पैदल यात्रा करके मंदिर तक पहुंचना पड़ेगा
सड़क बहुत अच्छी है आने में कोई परेशानी नहीं होगी धूल मिट्टी ही ज्यादा नहीं है
एक बार जरूर आएं किसी भी तरह की गाड़ी से आ सकते हैं जैसे दो पहिया वाहन चार पहिया वाहन कितनी भी बड़ी गाड़ी से आ सकते हैं कोई परेशानी नहीं होगी
खोड़वा मेला कसर - क्या-क्या शॉपिंग कर सकते हैं
वहां पर आप वहां पर बच्चों के खिलौने उचित रेट पर मिलते हैं घरेलू सामग्री आवे अच्छे रेट पर मिल जाते हैं इसके बाद वहां बॉक्स और बेटा हमारी भी बेड अलमारी भी उचित रेट पर मिल जाते हैं जो वहां के स्थानीय लोग काफी ज्यादा मात्रा में मेले का आनंद लेते हुए खरीद लेते हैं और घर में उपयोग होने वाले छोटी मोटी पार्टी में उपयोग होने वाले छोटे बड़े बर्तन भी सस्ते रेट पर उपलब्ध होते हैं वहां के स्थानीय लोग बर्तन बहुत ज्यादा मात्रा में खरीदते हैं
सिंगरौली जिले के लोकप्रिय मंदिरों में से एक है
हालांकि वहां पर किसी भी महीने में किसी भी दिन जा सकते हैं लेकिन ज्यादातर वहां पर सोमवार के दिन जाते हैं सोमवार का दिन शंकर भोलेनाथ का दिन होता है इसीलिए सोमवार के दिन जाते हैं सोमवार के दिन एक पुजारी परमानेंट रहते हैं जो कि आपको बाकी किसी दिन नहीं मिलेंगे सिर्फ और सिर्फ सोमवार के दिन ही मिलेंगे
क्या-क्या होता है वहां पर
छोटे बच्चों का मुंडन समारोह होता है शादी विवाह समारोह भी होता है भजन कीर्तन समारोह भी वहां पर खूब अच्छी तरीके से होता है इस कार्यक्रम को करने के लिए कोई पाबंदी नहीं है जब आपका मन करे आप वहां पर मुंडन कर सकते हैं भजन कीर्तन कब तक कर सकते हैं शिव चर्चा भी सोमवार के दिन किया जाता है बहुत सारे लोग करते हैं
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