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ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर
ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर

ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर के बारे में पूरी जानकारी

सिंगरौली/सोनभद्र शक्तिनगर क्षेत्र में स्थित ज्वालादेवी मंदिर का बहुत पुराना पौराणिक इतिहास रहा है, यहॉ यूपी के साथ मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड के समीपवर्ती इलाके के लाखों श्रद्वालु शारदीय व चैत्र नवरात्र के साथ सालभर दर्शन पूजन करने आते रहते है, पौराणिक कथा के अनुसार इस स्थान पर मां सती के जिह्वा का अग्र भाग कट कर गिर गया था, ज्वालामुखी मंदिर में कई सालों से जल रही अखंड ज्योति भी श्रद्घा का केंद्र बनी है

ज्वालामुखी माता भक्त बड़ी सिद्धत के साथ माथा टेककर आशीर्वाद लेते है, मंदिर में लाइन लगाकर श्रद्धालु मां की एक झलक पाने के लिए इंतजार में व्याकुल रहते है, शक्तिनगर स्थित ज्वालादेवी सहित कई मंदिरों में भक्त झूमते गाते हुए नजर आते हैं

ज्वालामुखी मंदिर कहां स्थित है

ज्वालामुखी मंदिर कहां स्थित है
ज्वालामुखी मंदिर कहां स्थित है
सिंगरौली वैढन के आसपास सोनभद्र जिले में शक्तिनगर ज्वालामुखी देवी बहुत प्रसिद्ध है देवी हैं वहां पर भक्तगण बहुत सारे संख्या में माता ज्वालामुखी की दर्शन करने जाते हैं 
देखा जाए तो वहां पर नवरात्र के महीने में बहुत धूमधाम रहता है हालांकि किसी भी समय मंदिर का फाटक खुला रहता है 

ज्वालामुखी देवी मंदिर

आपको अगर मुंडन समारोह करवाना है तो करवा सकते हैं कोई पाबंदी नहीं है कहां जाता है 
बामन शक्तिपीठों में पहुंचकर मां के दर्शन कर पूजा पाठ कर रहे हैं वही शक्ति नगर में विराजमान ज्वाला देवी की महिमा की अपार है 
नवरात्र की शुरुआत दिनों में रोजाना भोर से ही भक्तों का भीड़ भाड़ बहुत ज्यादा संख्या में इकट्ठा होता है वहां पर भक्तों बहुत सिद्धार्थ के साथ माथा टेक कर मनोकामना मांगते हैं 

ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर

ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर
ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर

कहा जाता है कि ज्वालामुखी देवी से मांगी हुई भी मनोकामना पूर्ण होती है सब ज्वाला देवी सभी भक्तों गणों की मनोकामना पूरा करती हैं 
 शक्तिनगर में विराजमान ज्वाला देवी की महिमा अपरंपार है कहां जाता है ज्वाला देवी से मांगी गई मनोकामना अवश्य पूरा होता है 
वह शारदीय नवरात्र में साथ में दिन दर्शन पाने के लिए ज्वाला देवी मंदिर में सुबह से ही आस्था भारी मात्रा में भक्त गणो की भीड़ इकट्ठा होने लगती है 
देखा जाता है उन दिनों बहुत सारे भक्तगण बहुत दूर-दूर से आते हैं माता ज्वाला देवी की दर्शन कर अपने मन को शांति प्रदान करते हैं 

शक्तिनगर ज्वालामुखी देवी

वहां पर चढ़ाने के लिए नारियल चुनरी बाकी पूरा पूजा की सामग्री वहीं पर उपलब्ध है छोटी-छोटी दुकानें आसपास लगी हुई हैं पूजा का सामान मंदिर के सामने ही मिल जाता है 
नारियल चुनरी अगरबत्ती लड्डू पेड़ा सारा चीज सिंगार का सामान चूड़ी बिंदी सिंदूर आलता रंग पूरा सोलह सिंगार वहां पर दुकानदार नारियल के साथ सेठ लगा कर के एक ठो डलिया में सजा कर के भक्त गणों को वहां पर दिया जाता है पूरा डलिया का सामान पूरा डलिया का सामान चढ़ाने के बाद दुकानदार को दलिया वापस दिय जाता है

 पौराणिक एवं धार्मिक महत्व के साथ आस्था केंद्र शक्ति पीठ ज्वालामुखी माता शक्तिनगर में विराजमान आदिकल से आदिवासियों की परिपेक्ष के पूजित देवी रही हैं ज्वालामुखी देवी शक्तिनगर में विराजमान किसी भी जाति धर्म के लोग के लोग वहां पर दर्शन करते हैं कोई पाबंदी नहीं है 

ज्वालामुखी मंदिर का इतिहास

 ज्वाला देवी मां शक्तिपठ के तीर्थ पुरोहित के मतानुसार शक्ति स्वरूप शक्ति मां भगवती के जीभ के अग्रभाग का छोटा सा हिस्सा सिंगरौली के रानी वारी नामक गांव में पड़ा था 
जो कुछ समय बाद में चलकर माता ज्वालामुखी मंदिर के नाम से जाना जाता है पुरोहितों के पौराणिक कथाओं का जिक्र करते हुए बताया गया है कि 

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श्रृंगी ऋषि की तपोभूमि सिंगरौली राज्य के उदित नारायण सिंह घर वालों को ज्वाला देवी मां ने स्वप्न दिया था सपने में देवी ने कहा कि हे राजन तुम्हारे राज्य की राजधानी गहरवार समीप रानीबारी गांव में नीम और बेल के जंगल में मेरी प्रतिभा पड़ी है जिसकी तुम आराधना करो तुम्हारे राज्य में सुख शांति समृद्धि होगी तथा तुम्हारे राज्य का पूरे पूरे विश्व में फैल जाएगा 
स्वरूप राजा ने खोज कर आया और प्रतिभा को प्राप्त किया राजा प्रतिभा को लेकर अपने राजधानी की ओर जाना चाहते थे काफी प्रयास के बाद राजा प्रतिभा को ले जाने में सफल रहे तब राजपूतों के सुझाव से ज्वालामुखी मां शक्तिनगर में विराजमान देवी का स्थापना कराया गया 

ज्वालामुखी मंदिर

शक्तिनगर ज्वालामुखी देवी
शक्तिनगर ज्वालामुखी देवी
यहॉ शक्तिनगर ज्वालामुखी देवी मंदिर प्रांगण में शेर की प्रतिमा लोगों के सेल्फी और फोटो लेने का आकर्षण केन्द्र बना रहता है

चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी के दिन मंदिर का जीर्णोद्धार करते हुए मां की प्रतिभा को ले जाने में और सफल रहे सब राजपूतों के सुझाव से मां ज्वाला देवी की स्थापना कराया गया 
चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी के दिन मंदिर का जीर्णोद्धार करते हुए मां की प्रतिमा को स्थापित कर विधि विधान से पूजा किया गया काशी के विद्वान पंडित तीर्थ पुरोहित गंगाधर मिश्र की नियुक्ति मठ पति के रूप में किया गया तभी से प्रतिवर्ष चैत्र रामनवमी के एक माह का विशाल मेला के साथ चित्र शारदीय नवरात्र में भक्तों का बहुत भारी संख्या में भीड़ लगता है 

 इस दौरान लाखों भक्त गण नारियल चुनरी माला फूल सिंगार का सामान चढ़ाकर मनचाहा फल प्राप्त करते हैं नवरात्र के दौरान मां के भक्त जवारी जुलूस लेकर हाथों में ज्वार मशल त्रिशूल खबर और तलवार इत्यादि के साथ ढोल मजीरा के साथ नाचते गाते देवी दर्शन को आते हैं 

पौराणिक एवं धार्मिक महत्व के साथ आस्था केंद्र शक्तिपीठ मां ज्वालामुखी मंदिर के आदिकाल से परिपेक्ष के निवासी गिरवासीओ आदिवासियों की पूजित देवी रही है 

पौराणिक कथा के अनुसार प्रजापति दक्ष ने बृहस्पतिवार नाम के यज्ञ का अनुष्ठान किया जिसमें सभी देवताओं यक्ष किन्नर गंधर्व को आमंत्रित किया गया किंतु देवाधिदव शिव को कोई आमंत्रित नहीं किया ना तो उनका स्थान ही रखा गया पिता के यहां यज्ञ की सूचना पाकर सती बिना महादेव की अनुमति के पिता के यहां चली गई 

राजा दक्ष की यज्ञ स्थल पर शिव स्थान ना देश एवं शिव की निंदा सुनकर उन्होंने अपने शरीर को यज्ञ कुंड में आहुति कर दिया सूचना पर पहुंचे भगवान शिव ने उनके शरीर को अपने कंधे पर लेकर उन्मुक्त भाव से त्रिलोक में घूमने लगी इस दौरान सती के शरीर के खंड आभूषण जिन जिन स्थानों पर गिरे उन्हीं स्थानों को शक्ति पीठ कहा गया 

 मुंडन समारोह के लिए स्थान अगर कोई भी भक्तगण अपने बेटे या पोते का मुंडन करवाना चाहते हैं तो बहुत सारा जगह वहां पर है नाम पंडित भी मिल जाते हैं 
आपको सिर्फ अपने वाहन से जाकर के वहां पर मुंडन करवा लेना है 

ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर कैसे जायें

ट्रेन या बस से जाना बहुत आसान है ट्रेन से अगर आप आते हैं तो सिंगरौली मोरवा स्टेशन उतर कर के आपको ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर आने के लिए बस या ऑटो मिल जाएंगी वहां से आप बड़े आराम से आ सकते हैं

और आप शक्तिनगर रेल्वेस्टेशन से भी आराम से आ सकते हैं
 अगर बस से आते हैं तो ज्वालामुखी मंदिर द्वार तक गाड़ी वाहन जा रहत है आप आपको पैदल बस थोड़ा सा मंदिर जाने के लिए चलना पड़ेगा नहीं तो गाड़ी वाहन मंदिर तक बड़ी आराम से पहुंच जाती है 

सभी भक्तों गण का कहना है सच्चे मन से मांगे गए मनोकामना माता ज्वालामुखी जरूर पूरा करते हैं शादी समारोह शादी समारोह शादी समारोह ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर में शक्तिनगर में शादी विवाह जैसे कार्यक्रम जैसे कार्यक्रम भी होता है और वहां पर नव दंपत्ति मां ज्वालामुखी का दर्शन करने जोड़े में जाते हैं

ज्वालामुखी मंदिर शक्तिनगर कब जायें

ज्वालामुखी मंदिर में आप कभी भी जा सकते हैं लेकिन यहॉ नवरात्र में आपको ज्यादा भीड़ देखने को मिलती है
सावन में भी यहॉ पर्याप्त भीड़ देखने को मिलती है
और नवदुर्गा नवरात्र में भी पर्याप्त मात्रा में लोग आते हैं
यहॉ पर आप किसी भी समय पिकनिक या मंदिर दर्शन के लिये आ सकते हैं

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