ज्वालामुखी मंदिर कहां है, ज्वालामुखी मंदिर कहां स्थित है, ज्वालामुखी मंदिर किसने बनवाया, ज्वालामुखी मंदिर किस राज्य में है, ज्वालामुखी मंदिर का रहस्य, ज्वाला देवी मंदिर का इतिहास, ज्वाला माता किसकी कुलदेवी है, ज्वालामुखी मंदिर को किसने लूटा
- ज्वालामुखी मंदिर कहां स्थित है
- ज्वालामुखी मंदिर किसने बनवाया
- ज्वालामुखी मंदिर किस राज्य में है
- ज्वालामुखी मंदिर का रहस्य
- ज्वाला देवी मंदिर का इतिहास
- ज्वाला माता किसकी कुलदेवी है
- ज्वालामुखी मंदिर को किसने लूटा
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ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर हिमाचल के कांगड़ा जिले में है और उन्नती की देवी को समर्पित है। मंदिर के बाहर एक ज्वाला उठती हुई चिंगारी होती है, जिसे "ज्वालामुखी" कहा जाता है। यह मंदिर भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है और लाखों पर्यटकों को खींचता है।
ज्वालामुखी मंदिर कहां स्थित है
ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है।
यह मंदिर हिमाचल प्रदेश के कंगड़ा जिले में है और धार्मशाला से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मंदिर में माँ ज्वालामुखी की पूजा की जाती है और यह स्थान धार्मिक दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण है।
ज्वालामुखी मंदिर किसने बनवाया
ज्वालामुखी मंदिर का निर्माण लगभग 250 साल पहले किया गया था।
इस मंदिर का निर्माण राजा भुमि चंद ने कराया था। मंदिर में माँ ज्वालामुखी की पूजा की जाती है और यह हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक है।
ज्वालामुखी मंदिर कहां है
ज्वालामुखी मंदिर के निर्माण के बारे में कुछ निश्चित नहीं है। हालांकि, इस मंदिर के निर्माण का श्रेय राजा भुमि चंद ने माना जाता है जो 16वीं सदी में कांगड़ा राज्य के शासक थे।
इस मंदिर को स्थापित करने से पहले, इस स्थान पर एक प्राचीन मंदिर था जो शायद 9वीं शताब्दी से पहले बना था।
ज्वालामुखी मंदिर किस राज्य में है
ज्वालामुखी मंदिर हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है। यह हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित है और हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।
ज्वालामुखी मंदिर का रहस्य
ज्वालामुखी मंदिर हिंदू धर्म का एक प्रसिद्ध मंदिर है जिसे श्रद्धालु व्यक्ति और पर्यटकों द्वारा धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस मंदिर का एक रहस्य उसमें ज्वालामुखी नाम के प्रचंड अग्नि-स्रोत की मौजूदगी है। यह अग्नि-स्रोत लगभग 100 फुट ऊंचा होता है और लगातार ज्वलंत रहता है। इस अग्नि-स्रोत के सम्बन्ध में विभिन्न कथाएं हैं जो इस मंदिर को रहस्यमय बनाती हैं।
एक कथा के अनुसार, माता सती का शरीर चक्रवात से अलग हो गया था और इससे ब्रह्मांड में अत्याधुनिक शक्ति का उदय हुआ था।
जब श्री कृष्ण ने इस स्थान पर श्रद्धा जताया तो अग्नि-स्रोत उत्पन्न हुआ था। एक और कथा के अनुसार, देवी सती के बालक सुदामा थे जिन्हें उनकी सौंदर्य से नाराज़गी थी। उन्होंने ज्वालामुखी से खेलते हुए उसका रहस्य समझ लिया था जिससे उनकी दृष्टि में सुंदरता की परिभाषा बदल गई थी।
ज्वाला देवी मंदिर का इतिहास
ज्वालामुखी मंदिर का असली रहस्य उसकी प्राचीनता और शक्तिशाली देवी ज्वालामुखी की कड़ाके की ज्वाला है। इस मंदिर में देवी ज्वालामुखी के रूप में प्रदर्शित ज्वालामुखी भी है जो लगातार फूटती रहती है और निरंतर ज्वाला के धुंए से घिरी रहती है।
इसके अलावा, ज्वालामुखी मंदिर के बारे में कुछ अन्य रहस्य भी हैं, जैसे कि मंदिर के अंदर की गुफा, जो अत्यंत गहरी है और जिसमें शायद कुछ रहस्यमय चीजें हो सकती हैं। हालांकि, इस गुफा का खुलासा अभी तक नहीं हुआ है।
ज्वाला देवी मंदिर हिमाचल प्रदेश, भारत में स्थित है। यह मंदिर प्राचीन काल से ही महत्वपूर्ण है और हिमाचल प्रदेश की प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
मंदिर का इतिहास बहुत पुराना है, इसे 16 वीं शताब्दी में बनाया गया था जब एक ब्राह्मण राजा बैरागी ने देवी ज्वाला के आविर्भाव का अनुभव किया था। उन्होंने मंदिर का निर्माण करवाया जो बाद में समय के साथ-साथ बदलते हुए अनेक बार फिर से निर्मित हुआ। मंदिर ने तीन बार अलग-अलग कालों में ज्वालामुखी के आग से जल जाने के बावजूद अपने आप को बचाया है।
ज्वाला माता किसकी कुलदेवी है
ज्वाला माता कुलदेवी मां वैष्णो देवी की मानी जाती है।, इस मंदिर में देवी ज्वालामुखी की भक्ति की जाती है। इस मंदिर का विस्तार लगभग 200 फुट होता है और यह पत्थरों से निर्मित है।
मंदिर के अंदर ज्वालामुखी के अलावा, विभिन्न देवी-देवताओं की मूर्तियां भी हैं। इस मंदिर की स्थापना से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं जो लोगों को आकर्षित करती हैं।